Protests erupt outside Kasba Police station as 3 arrested in alleged Kolkata college gang rape
जिस तरह महात्मा बुद्ध ने समाज को एकजुट कर आध्यात्मिक और नैतिक उत्थान की नींव रखी थी, उसी तरह संघ भी पूरे हिंदू समाज को संगठित करने का कार्य कर रहा है। वह शनिवार को पश्चिम बंगाल के बर्दवान में स्वयंसेवकों के एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।
कोलकाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि संघ का कार्य महात्मा बुद्ध के राष्ट्र निर्माण प्रयासों की तरह ही है। जिस तरह महात्मा बुद्ध ने समाज को एकजुट कर आध्यात्मिक और नैतिक उत्थान की नींव रखी थी, उसी तरह संघ भी पूरे हिंदू समाज को संगठित करने का कार्य कर रहा है। वह शनिवार को पश्चिम बंगाल के बर्दवान में स्वयंसेवकों के एक समारोह को संबोधित कर रहे थे।
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि संघ पूरे हिंदू समाज को एकजुट करना चाहता है। यह समाज केवल अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए उत्तरदायी है। भारत की अपनी एक प्रकृति है, जो इसे विशेष बनाती है। जो इस प्रकृति के साथ नहीं रह सकते थे, उन्होंने अपना अलग देश बना लिया। लेकिन जो यहां रहे, वे भारत की इस मूल आत्मा से जुड़े हुए हैं। भारत केवल एक भूगोल नहीं, बल्कि एक स्वभाव है, जो 15 अगस्त 1947 से बहुत पहले से अस्तित्व में है। हम किसी राजा को नहीं, बल्कि उस राजा को याद करते हैं, जिसने अपने पिता की आज्ञा का पालन करने के लिए 14 साल तक वनवास सहन किया। जब तक यह प्रकृति बनी रहेगी, तब तक भारत रहेगा। हिंदू समाज और भारत एक ही हैं।
उन्होंने कहा कि भारत को किसी बाहरी शक्ति ने नहीं बनाया, बल्कि यह हजारों सालों से एक सशक्त राष्ट्र के रूप में विद्यमान है। महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि गांधी जी ने भी एक साक्षात्कार में कहा था कि अंग्रेजों ने हमें बताया कि भारत उन्होंने बनाया है, लेकिन यह पूरी तरह गलत है। भारत सदियों से अस्तित्व में है, विविधतापूर्ण, लेकिन एकजुट है। सरसंघचालक ने स्पष्ट किया कि संघ के प्रति कई लोगों की गलतफहमी है, लेकिन वास्तव में संघ केवल समाज को संगठित करने का कार्य कर रहा है। हमारी 70 हजार से अधिक शाखाएं हैं । हम इन्हें इसलिए आगे बढ़ा रहे हैं, ताकि समाज और राष्ट्र को लाभ मिले।
विदेशी ताकतें कर रहीं है भारत को तोड़ने का जिक्र
मोहन भागवत ने भारत पर हुए विदेशी आक्रमणों का जिक्र करते हुए कहा कि सिकंदर के समय से ही विदेशी ताकतें भारत को तोड़ने की कोशिश कर रही हैं। मुट्ठीभर लोग आते हैं, हमसे श्रेष्ठ नहीं होते, लेकिन हम पर शासन कर जाते हैं। इसका कारण आपसी फूट और गद्दारी है। यह इतिहास बार-बार दोहराया गया है और अब इसे रोकना होगा।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सौ साल पूरे होने वाले हैं। संघ का उद्देश्य केवल अपने स्वयंसेवकों को संगठित करना नहीं, बल्कि संपूर्ण हिंदू समाज को एकजुट करना है। हम कोई पुरस्कार या प्रसिद्धि पाने के लिए यह कार्य नहीं कर रहे, बल्कि भारत के उत्थान में अपना योगदान देने के लिए कर रहे हैं। संघ के स्वयंसेवक बिना किसी स्वार्थ के कार्य करते हैं और यह उनके संस्कारों और विचारों का परिणाम है। हमारा काम समाज को संगठित करना और राष्ट्र निर्माण में योगदान देना है।
भागवत ने यह भी स्पष्ट किया कि संघ की शाखाएं लगातार बढ़ रही हैं और वे बंगाल में भी अपना विस्तार जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि बंगाल हमेशा से भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना का केंद्र रहा है और यहां हिंदू समाज को संगठित करना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। उल्लेखनीय है कि भागवत की रैली को बंगाल पुलिस ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था, लेकिन कलकत्ता हाईकोर्ट की मंजूरी के बाद यह आयोजन संभव हो पाया।